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लोककथ़ाएँ आपणे की चोट: हरियाणवी लोक-कथा एक सुनार था। उसकी दुकान के धौरे एक लुहार की दकान बी थी। सुनार जिब काम करदा, तै उसकी दुकान म्हं कती कम खुड़का हुंदा, ...